वित्तीय साक्षरता (फाइनेंसियल लिट्रेसी) क्या है?
वित्तीय साक्षरता व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन, बजट और निवेश सहित विभिन्न वित्तीय कौशल को समझने और लागू करने की क्षमता है. यह ज्ञान व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है ताकि वे वित्तीय स्थिरता प्राप्त कर सकें. वित्तीय साक्षरता वित्तीय प्रबंधन कौशल को ठीक से समझने और लागू करने की क्षमता है. प्रभावी वित्तीय नियोजन, ऋण का उचित प्रबंधन, ब्याज की सही गणना और धन के समय मूल्य को समझना वित्तीय रूप से साक्षर होने की विशेषताएं हैं. वित्तीय साक्षरता के प्राथमिक सिद्धांतों में बजट सीखना, खर्च पर नज़र रखना, प्रभावी ढंग से ऋण का भुगतान करना और सेवानिवृत्ति की सही योजना शामिल है.
फाइनेंसियल लिट्रेसी के ज्ञान की कमी के कारण व्यक्ति धोखाधड़ी करने वाले वित्तीय संस्थानों या ठगों का शिकार हो सकते हैं और उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है. फाइनेंसियल लिट्रेसी का पर्याप्त ज्ञान न होने से वित्तीय नुकसान देने वाली फ्रॉड वित्तीय संस्थाओं व धोखेबाजों की चाल का शिकार हो सकते है. वित्तीय साक्षरता यह जानने और समझने की शिक्षा और समझ है कि धन राशी आय के तौर पर कैसे बनाई या कमाई जा सकती है, उसे कैसे खर्च किया जा सकता है और कैसे बचाया जा सकता है. साथ ही वित्तीय संसाधनों का उपयोग करके किस तरह से उचित निर्णय लिया जाए. आय अर्जित करने की क्षमता को इस ज्ञान से विकसित भी किया जा सकता है. कहने का तात्पर्य यह है कि किस तरह विधिक तरीके से धन अर्जित किया जाए और उस राशि का किस तरह से उपयोग किया जाए. इन फैसलों में पैसे बनाना (How to earn money), निवेश करना (How to invest), खर्च करना (How to spend) और बचत करना (saving) शामिल है
फाइनेंसियल लिट्रेसी का उपयोग और आवश्यकता
वित्तीय साक्षरता सभी प्रकार के आयु समूह, लिंग, वर्ग और सभी स्तर के लोगों के लिए उपयोगी और आवश्यक है. यह छात्रों, माता-पिता, युवाओं, बालिकाओं, महिलाओं, बेरोजगारों, निर्भर व्यक्तियों और विभिन्न प्रकार के रोजगारशुदा व्यक्तियों, वेतनभोगी व्यक्तियों, कर्मचारियों, प्रबंधकों, नियोक्ताओं, व्यवसायियों, उद्यमियों और सभी प्रकार के लोगों के लिए उपयोगी है.
छात्रों के लिए वित्तीय मुद्दों का ज्ञान उन्हें बेहतर वर्तमान और भावी जीवन की योजना बनाने के लिए प्रेरित करेगा. अच्छी तरह से वित्तीय व आर्थिक मामलों की जानकारी रखने वाले व इस विषय में जागरूक छात्र भी अपने माता-पिता का मार्गदर्शन कर सकते हैं. साक्षर महिलाएं और युवतियां जो घर के खर्चों का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार होती हैं, वे परिवार के मुखिया की व अन्य आय को एवं जो सबसे आवश्यक हो वही खर्चे सीमित रूप से करते हुए घरेलु आय और व्यय के प्रबंधन में मदद कर सकती हैं.
यह उन लोगों के लिए भी अधिक आवश्यक है जिनके पास स्थाई रोजगार और नियमित आय के स्रोत नहीं हैं. रोजगार नहीं होने पर भी जीवन सामान्य ढंग से जीने में सक्षम होने के लिए, इस तरह के एक व्यक्ति और उससे जुड़े परिवार के लिए, बचत के साथ-साथ एक नियमित आय होना आवश्यक है.
व्यवसायी और उद्यमी भी व्यवसाय और उद्यमों का अच्छी तरह से प्रबंधन और विकास कर सकते हैं यदि वे वित्तीय मुद्दों और आवश्यकताओं के सभी प्रकार के सभी पहलुओं पर अच्छी तरह से शिक्षित हैं.
जीवित रहने के लिए आय अर्जित करने के लिए वित्तीय साक्षरता का उपयोग
यदि कोई भी व्यक्ति वित्तीय ज्ञान अच्छा रखता है या किसी के पास पर्याप्त वित्तीय साक्षरता है और उनकी आजीविका के स्थाई व नियमित साधन नहीं है वे अच्छी तरह से जीविकोपार्जन करने के लिए उपलब्ध आय से अपना कार्य चलाने में एक हद तक समर्थ होते हैं. आय सृजन प्रक्रिया क्या हो सकती है? यह जानकारी लोगों के जीवन यापन को बेहतर बनने के लिए उपयोगी होती है, जैसे कि अर्ध कुशल व्यक्ति अपने घर का एक हिस्सा किराए पर देकर, परचून सामान व किराणा की दुकान खोलकर, चाय नाश्ते की दुकान या रेड़ी या ठेला लगाकर, हेयरड्रेसिंग का कार्य, फेरीवाले का कार्य कर, सब्जियां बेचकर, टिफ़र सेंटर खोलकर या अन्य ऐसे उपाय जुटा सकते हैं और यह ज्ञान उनके लिए कारगर उपाय साबित हो सकता है. और स्किल्ड व्यक्तियों के लिए घर से काम करना जैसे कि लेखन कार्य, डेटा फीडिंग सूचना कार्य, घर रहकर किए जाने वाले कार्य करना, टेली कॉलिंग कार्य, प्लंबिंग, इलेक्ट्रीशियन आदि के रूप में कार्य, मार्केटिंग, किसी भी उत्पाद और सेवाओं के लिए एजेंट के रूप में कार्य आजीविका हेतु आय अर्जित करने के लिए उपयोगी और सहायक हो सकते हैं. जो लोग वित्तीय रूप से कुछ बेहतर स्तिथि में हैं, वे इस ज्ञान के आधार पर अपने व्यवसाय की योजना, शुरुआत और प्रबंधन की व्यवस्था कर सकते हैं. वे अपनी क्षमता और उम्मीदवारी के अनुसार नौकरी के अवसर प्राप्त करने का प्रबंधन कर सकते हैं, बाजार में कोई वित्तीय संकट नहीं होने की स्थिति में यह नियमित आय अर्जित करने और रोजगार करने के लिए एक नियमित प्रक्रिया के हिस्से के रूप में लाभान्वित हो सकते है.
आय और नियंत्रण व्यय को बचाने के लिए उपयोगी वित्तीय साक्षरता
यदि कोई वित्तीय साक्षरता रखते है और उन्हें वित्त प्रबंधन करने के लिए ज्ञान है तो वे यह तय कर सकते हैं कि कमाई का एक निश्चित हिस्सा बचत खाते में डाला जाना चाहिए. अगर किसी को ज्ञान हो तो वह उपयुक्त स्थान पर आय को बचाने के लिए प्रबंधन कर सकता है. जैसे आय को डाकघर या सरकारी बैंक के बचत खाते में जमा करवा देवे ताकि जमा धन सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर उसे आसानी से निकाल कर उपयोग में ले सके. वे यह जान सकते हैं कि अधिक ब्याज के लालच में साहूकार, रिश्तेदार या मित्र को इस इरादे से देने से बचें. ऐसा लालच उनको संकट में डाल सकता है. अगर वे अच्छी तरह से ज्ञान रखते हैं तो वे समझ सकते हैं कि ज्यादा लालच में आकर ज्यादा ब्याज के लोभ में साहूकार, रिश्तेदार, मित्र को पैसा देने की बजाय उसे बचत हेतु सुरक्षित रूप से बैंक में जमा करवाया जाए.
वित्तीय साक्षरता के विषय में एनजीओ की भूमिका
स्वयं सेवी संथाओं (NGOs) की यह नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि वे नौजवानों, छात्रों, बेरोजगारों, नौकरीपेशा लोगों, अस्थायी श्रमिकों जैसे दिहाड़ी मज़दूर, रिक्शा वाले, ऑटो वाले, पार्ट टाइम ट्रक/बस ड्राइवर, पटरी, सड़क पर दुकान लगाने वाले आदि को फाइनेंसियल लिट्रेसी का ज्ञान दे. उन्हें सरकारी स्कीम जैसे फ्री रसोई गैस स्कीम उज़्ज़वला, आयुष्मान भारत, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि से जोडें. जिनमें सरकार की तरफ से छूट है उन योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति और अन्य वित्तीय लाभ के बारे में जानकारी देवें.
एनजीओ स्कूल कोलेजों में जाकर प्रशिक्षण के कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं. स्नातक से आगे उच्च अध्ययन कर रहे युवा वर्ग में बेरोजगार युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ते की योजनाओं की जानकारी और अन्य लागू जानकारियां दी जा सकती है जो विभिन्न प्रकार के संबंधित युवाओं को वांछित या उनके क्षेत्रों में विभिन्न विकल्पों के लिए उपलब्ध होती है. युवा वर्ग को इस विषय में जागरूक करने व उनका ज्ञान बढ़ने के लिए विभिन्न युवा समूहों के विभिन्न क्षेत्रों में शिविर, सेमिनार व कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं.
एनजीओ की ओर से विभिन्न कंपनियों व प्रतिष्ठानों में जाकर भी फाइनेंसियल लिट्रेसी के विभिन्न आयोजन, शिविर व प्रशिक्षण आयोजित किए जा सकते हैं.
बचत के लाभों के लिए वित्तीय साक्षरता जागरूकता
एनजीओ जरूरतमंद पात्र और वांछित लोगों को पोस्ट ऑफिस और सरकारी बैंकों में बचत खाते खोलने में मदद कर सकते हैं. एनजीओ उन्हें सेवा निवृत्त्ती की अवधि के दौरान उनके बुढ़ापे के समय और अन्य आपातकालीन खर्चों के लिए बचत के बारे में मार्गदर्शन कर सकते हैं और उन्हें नियमित बचत के महत्व के बारे में जागरूक कर सकते हैं. इन लोगों को पोस्ट ऑफिस और सरकारी बैंक में सेविंग खाता खुलवाने में मदद कर कर सकते है व मार्गदर्शन दे सकते हैं. इन्हे बुढ़ापे के लिए और अन्य इमरजेंसी खर्चे के बारे में बता नियमित बचत का महत्व बताया जा सकता है. बूंद बूंद कर किस तरह घड़ा भरता है और किस तरह खाली भी हो जाता है. इस तरह का व्यावहारिक ज्ञान दे सकते हैं. फाइनेंसियल लिट्रेसी के बारे में जागरूकता फैलाकर लोगों को उनके मौजूदा संसाधनों और जीविका के लिए उपलब्ध अवसरों की खोज करने व उनके उपयोग करने की जानकारी देकर उनके आर्थिक दृष्टि से सक्षम बनाना भी एनजीओ (NGOs) का ही काम है. इसके लिए उन्हें अच्छी तरह से सूचित किया जा सके ताकि वे लोग अच्छी तरह से व नियोजित ढंग से आजीविका कैसे चलाई जाए यह जान करके उसे अपने जीवन में लागू कर सकते हैं, यदि वे इसके लिए स्वयं योग्य हो.
लोगों के अनावश्यक खर्चों को कम करने के लिए ज्ञान देकर समाज में और लोगों के विशिष्ट क्षेत्रों के लिए बचत की आदत को स्थापित करना वित्तीय साक्षरता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
वित्तीय साक्षरता और ज्ञान की कमी की कमियां
लोगो में, समाज में बचत करने की आदत डालना और लोगो के अनावश्यक खर्चों को कम करने का ज्ञान देना फाइनेंसियल लिट्रेसी का महत्वपूर्ण हिस्सा है. बहुत बार अच्छी खासी आय वाले भी आर्थिक संकट का शिकार होते देखे गए है. इसकी मुख्य वजह उनकी आदते है. अनावशयक खर्चा करने की आदत से अच्छी खासी कमाई वाले भी महीने के आखरी दिनों में अभावग्रस्त देखे जाते है. धुंआधार शॉपिंग, क्रेडिट कार्ड्स का अत्यधिक इस्तेमाल, मंथली बजट की कोई प्लानिंग का न होना ऐसे मुख्य कारण है जिसकी वजह से अच्छी पगार की नौकरी वाले भी महीने के आखरी दिनों में और इमरजेंसी में फाइनेंसियल क्राइसिस देखते है.
सुरक्षित भविष्य के लिए आदत और प्रबंधित आय व्यय योजना संभव है अगर आर्थिक रूप से साक्षर हो
यदि कुछ निश्चित मापदंडों का पालन किया जाता है, तो लोग संकट के बिना अच्छी तरह से प्रबंधित तरीके से वर्तमान और भविष्य के जीवन को जी सकते हैं और जीवन के प्रतिकूल महत्वपूर्ण समय में अपने अस्तित्व को बेहतर ढंग से नियंत्रित करेंगे जब पैसे की कमी होगी.
जरूरत से ज्यादा उधार लेने और उधार देने की आदत भी दुःख का कारण होती है. मंथली इनकम के अनुसार बजट प्लानिंग करनी चाहिए. इनकम का एक हिस्सा नियमित बचत को जाना चाहिए. जरूरत होने पर बीमारी के खर्चे और बुढ़ापे की पेंशन के लिए भी बजट प्लानिंग होनी चाहिए. बचत के अलावा मेडीक्लेम बीमा, दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा, वाहन बीमा हमेशा करवाना चाहिए.
लोगों को जागरूक करें कि उन्हें ऐसे निवेश बाजार से बचना चाहिए जब तक कि उन्हें शेयर बाजार सहित किस कारोबार में कब और कितना निवेश करना है, इसका पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए. जब तक शेयर मार्केट में कब और कितना निवेश करे इसका ज्ञान न हो तो इस बाजार से बचना चाहिए. बहुत ही शेयर मार्किट का शौक हो तो म्युचल फण्ड में इन्वेस्ट करना चाहिए. अगर घर का मकान नहीं है तो महंगे वाहन खरीदने से पहले खुद का मकान/ फ्लैट अपने बजट के अनुसार लोन किश्त पर खरीदने की प्लानिंग ज्यादा समझदारी वाला सही उचित कदम है. बहुत सारे महंगे ब्रांडेड कपड़े, जूते व सामग्री खरीदने से पहले अपनी बचत पर ध्यान देना ज़रूरी है. ज़रूरी और अनावशयक खर्चों की लिस्ट बना कर ज़रूरी खर्चों को ही पूरा करने की कोशिश करना और इस पर प्राथमिकता दे कर अमल करना एक ऐसा उपाय है जिससे वे अपनी खर्चीली आदत पर लगाम करके अपनी बचत को बढ़ा सकते है और अपनी आर्थिक स्थिति मज़बूत कर सकते है.
बेहतर व्यवसाय और एंटरप्रेन्योरशिप के लिए उपयोगी वित्तीय साक्षरता
व्यवसायियों के लिए वित्तीय साक्षरता महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके कारोबार और सेवाओं में सफलता पाने के लिए अपने व्यवसाय को अच्छी तरह से प्रबंधित करने का ज्ञान संसाधन है. इससे वे जान सकते हैं कि उनकी आय क्या हैं . वे अपना टर्न ओवर व लाभ बढ़ाने करने के लिए अधिक विकल्पों का आंकलन कर सकते हैं. व्यवसायी और उद्यमी वित्तीय रिकॉर्ड और क्रेडिट रेटिंग की निगरानी करके अपने लाभ की स्तिथि भी सुनिश्चित कर सकते हैं. वित्तीय लक्ष्यों की अवधि के अनुसार खर्च करने के लिए वे उपयुक्त लेखांकन अवधारणाओं का उपयोग कर प्राथमिकताओं के आधार पर वित्तीय फैसलों को तय करने, अमल करने और निवेश करने के बारे में आश्वास्त हो सकते हैं. इससे उन्हें कारोबार में होने वाले ट्रांसेक्शन और लाभ के बारे में जानने में मदद मिलती है, देनदारों व लेनदारों को आवश्यकता के अनुसार तय करने में मदद मिलती है. इस प्रकार उन्हें अपने व्यवसाय व सेवाओं की स्पष्ट वित्तीय स्थिति जानने में मदद मिलती है. इसका ज्ञान होने से वे अपने व्यवसाय व सेवाओं के वित्तीय सञ्चालन, कार्यान्वयन, सञ्चालन पर विभिन्न मापदंडों के प्रभाव और वांछित लक्ष्यों को जानकर व्यवसायिक गतिविधियों में लेनदेन की आवश्यकताओं के अनुरूप सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं.
इस प्रकार वित्तीय साक्षरता एक ऐसा तरीका व ज्ञान संसाधन है जिससे सभी अपनी बचत को बढ़ाने की समझ विकसित करके तथा अपने खर्चों पर नियंत्रण लगाकर अपनी मौजूदा व भावी वित्तीय स्थिति को मजबूत व बेहतर कर सकते हैं.